चित्रकूट महाकुंभ : बड़ी तादाद में जुटे संत, संघ प्रमुख ने किया एकता का आह्वान

  • स्वामी रामभद्राचार्य बोले, “हिंदुओं को हिमालय बनना होगा”
  • संस्कृति पर्व की प्रतियों का वात्सल्यमूर्ति साध्वी ऋतंभरा जी ने किया लोकार्पण

चित्रकूट। हिंदुओं के एकता से ही विश्व मे मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। आज चित्रकूट में आयोजित हिन्दू एकता महाकुंभ के विशाल मंच ने अनेक महत्वपूर्ण संदेश विश्व को दिया है। इसी मंच में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने संजय राय शेरपुरिया की पुस्तक हिन्दू धर्म की धरोहर , भारतीय संस्कृति का लोकार्पण भी किया।

इस अवसर पर संस्कृति पर्व की प्रतियां सरसंघ चालक मोहन भागवत जी को भेंट की गई। कानपुर बुंदेलखंड के प्रांत प्रचारक श्रीराम जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इसी समारोह में वात्सल्य मूर्ति साध्वी ऋतंभरा जी ने संस्कृति पर्व के गीता महोत्सव अंक का लोकार्पण भी किया।

संजय राय शेरपुरिया की पुस्तक के लोकार्पण के बाद संघ प्रमुख ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म क्या है और किस प्रकार से यह भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि के रूप में निरंतर क्रियाशील है, यही तथ्य इस पुस्तक के आधार तत्व हैं।यज्ञ, हवन, शंख, पद्म, गाय, त्रिशूल, मंदिर, देवस्थान जैसे शब्द सनातन हिन्दू वैदिक संस्कृति में ही हैं। ये केवल शब्द ही नहीं हैं बल्कि इन शब्दों के उच्चारण में ही ऐसा ध्वनित होता है कि जीवन और जीवन का रहस्य क्या है। हमारे देवी, देवता और धार्मिक प्रतीक क्या हैं। कैसे हैं। कितने महत्वपूर्ण हैं। क्यो हैं। स्वाभाविक है कि जिस प्रकार से समाज बदल रहा है और विश्व पटल पर अनेकानेक उपासना पद्धतियां जन्म ले रही हैं, ऐसे परिवेश में किसी को भी यदि हिन्दू संस्कृति को जानना और समझना है तो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए। जिस सलीके से इस पुस्तक में सनातन प्रतीकों को माला की मोती के रूप में प्रस्तुत किया गया है, वह अद्भुत है।

भगवान श्रीराम की संकल्पभूमि चित्रकूट में हिन्दू एकता महाकुंभ आज अत्यंत उल्लास और नई ऊर्जा के साथ हजारों संतों और लाखों हिन्दू समुदाय की विराट उपस्थिति में पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन के संयोजक तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास और संरक्षक धर्मचक्रवर्ती तुलसीपीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य जी थे। आज इस विराट मंच से हिंदुत्व के मामले में विश्व को अनेक संदेश दिए गए।

तुलसी पीठाधीश्वर, पद्मविभूषण, जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के संरक्षण में आयोजित इस महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत जी इस कार्यक्रम के मुख्यातिथि थे। इस आयोजन में श्री श्री रविशंकर, साध्वी ऋतंभरा, स्वामी चिदानंद मुनि, रमेश भाई ओझा, रामविलास दास वेदांती सहित भारत के लगभग सभी सनातन वैदिक हिदू परंपरा के संत और मनीषी हिस्सा ले रहे थे।

यह आयोजन ऐसे समय मे हो रहा है जब देश और विश्व मे हिन्दू संस्कृति के विरूद्ध विभिन्न प्रकार के षड्यंत्र किये जा रहे हैं। कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति, अयोध्या जी मे भव्य श्रीराममंदिर के निर्माण, काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण, मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जनस्थली के उद्धार के साथ अनेक उल्लेखनीय कार्य आगे बढ़ चुके हैं। हिंदुओ की एकता को तोड़ने के लिए जाति, सम्प्रदाय और पंथों के विभाजक षड्यंत्र किये जा रहे हैं। ऐसे समय मे यह आयोजन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। विश्व को हिंदुत्व के विराट स्वरूप से परिचित कराने का यह प्रयास है।

इस आयोजन में यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि समग्र हिंदुत्व के सभी प्रतिनिधि इसमे शामिल होकर एक मंच से हिन्दू एकता का संदेश देकर सामाजिक एकता को मजबूती प्रदान करें। इस आयोजन में संतो के अलावा देश के सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र के व्यापक प्रतिनिधित्व की भी कोशिश हुई।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,046FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles