अमिला। पुत्र प्राप्ति, समृद्धि, मंगलकामना और लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की पूजा आज की गई। शाम के वक्त सूर्य देव को व्रती नदी, तालाब और स्वनिर्मित वाटर टैंक में खड़े होकर अर्घ्य दिए। अमिला नगर और ग्रामीण अंचल में छठ पूजा का विशेष माहौल रहा। यहां तालाब व जलाशयों में सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। छठघाट में दोपहर से ही छठव्रतियोंं एवं दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। बड़ी संख्या में छठव्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ छठघाट पहुंच रहे थे। शाम को पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना की गई। छठव्रतियों ने डूबते सूर्य एवं छठमाता की आराधना की। इस दौरान आतिशबाजियां और गाजे-बाजे से माहौल रंगीन रहा। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाएगा।
“अमिला कोट निवासी जय कृष्ण राय बताते हैं कि उनकी धर्मपत्नी पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए छठी माई का व्रत रखी थीं। उसके बाद साल 1982 से हमारे यहां छठ पर्व बड़े उल्लास से मनाया जाता है। और यह सिलसिला आज भी लगातार जारी है।”
“आजाद पत्र अखबार के संपादक प्रवीण राय बताते हैं कि वे बचपन में अपने साथी विमलकृष्ण के साथ छठ के दिन कंधे पर गन्ना लेकर तालब के किनारे जाते थे।”
आप को बता दें कि शुक्रवार को छठ पूजा नहाय-खाय के साथ शुरू हुई थी। शनिवार को खरना और आज तीसरे दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया गया। वहीं सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना व्रत पूरा करेंगी।