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बीएचयू के ईको-स्किल्ड गंगामित्र गंगा की अविरलता एवं निर्मलता हेतु प्रयागराज से बलिया तक चलायेगें विशेष अभियान  

अजीत नारायण सिंह।

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अंतर्गत महामना मालवीय गंगा शोध केन्द्र के चेयरमैन एवं प्रख्यात पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर बी.डी. त्रिपाठी के निर्देशन में प्रशिक्षित ईको-स्किल्ड गंगामित्रों द्वारा प्रयागराज से बलिया तक गंगा पुनरोद्धार का विशेष अभियान चलाया जायेगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, भारत सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत प्रयागराज से बलिया तक 315 किमी लम्बे गंगाक्षेत्र में प्रत्येक 21 किमी के अन्तराल पर 15 गंगा जागरूकता केन्द्र स्थापित कर गंगा के पांच पहलुओं-’अविरल गंगा’, ’निर्मल गंगा’, ’अर्थ गंगा’, ’आध्यात्मिक गंगा’ एवं ’पारिस्थितिक गंगा’ पर विषेश अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान में 135 प्रशिक्षित गंगा कोआर्डिनेटरों द्वारा 650 गंगाग्रामों एवं 100 गंगावार्डों को चयनित कर 1500 जल संरक्षण समितियों का निर्माण एवं 15,000 जल संरक्षक सदस्य बनाये जायेगें। इस अभियान के अन्तर्गत निम्नलिखित जागरूकता कार्यक्रमों को मूर्तरूप दिया जायेगा।

आध्यात्मिक गंगा के अन्तर्गत गंगा के प्रति आस्था एवं समानुभूति पैदा करने हेतु 75 गंगा चौपालों के जरिये 4500 महिलाओं एवं 150 स्कूलों के 10,500 बच्चों में गंगा संस्कार डालकर उन्हें गंगा पुनरोद्धार हेतु सरकार द्वारा चलायी जा रही जिसे नमामि गंगे कार्यक्रमों से जोड़ा जायेगा।

अर्थगंगा अभियान के अन्तर्गत 75 गंगा ग्रामों के कृषकों को गंगाजल के नान-कंजम्पटिव उपभोग, वर्मी कम्पोस्टिंग, आर्गेनिक फार्मिंग, सब्जियां एवं फलों के गंगा ब्रांडिंग तथा नवीन सिंचाई पद्धति की तकनीकी जानकारी देकर उनके आय में वृद्धि के साथ उन्हें स्वरोजगारपरक तथा आत्मनिर्भर बनाया जायेगा।

गंगा की अविरलता हेतु करीब 225 जगहों पर वर्षाजल संचयन, भूजल पुनर्भरण एवं संचित वर्षाजल के विभिन्न उपयोगों की तकनीकी जानकारी दी जायेगी।

गंगा निर्मलीकरण हेतु घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण हेतु घर-घर जागरूकता एवं 750 स्थानों जैसे-गंगा घाटों, स्कूलों, तालाबों व पार्कां पर स्वच्छता अभियान चलाया जायेगा तथा गंगाजल गुणवत्ता हेतु समय-समय पर प्रयागराज से बलिया तक प्रत्येक 21 किमी पर गंगाजल की सैम्पलिंग एवं गुणवत्ता का परीक्षण किया जायेगा।

गंगा के पारिस्थितिक विकास हेतु 150 स्कूलों, नदियां, तालाबों के किनारे, पार्कां एवं मंदिरों के आसपास विशेष प्रकार का पौधारोपण तथा जलीय जीवों के संरक्षण हेतु जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।ईको-स्किल्स तकनीकी के माध्यम से युवक-युवतियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास हेतु प्रशिक्षित किया जायेगा।

वृहद् जागरूकता अभियान में, नुक्कड़ नाटक, रैली, पदयात्रा, वर्कशाप, डाक्यूमेंट्री शो आदि के द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, डाल्फिन बचाओ, स्मृतिवन विकास आदि जागरूकता कार्यक्रम किया जायेगा।

इस अभियान के द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रमों में जन सहभागिता का विस्तार होगा एवं सरकार तथा जमीनी स्तर के लोगों के बीच सीधे संवाद के अवसर बढ़ेगें। जो गंगा पुनरोद्धार कार्यक्रमों को त्वरित एवं प्रभावशालीरूप से लागू करने सहायक होगा।

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