वाराणसी। होली रंगों का पर्व है। इस त्योहार को पूरे उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग होली की मस्ती में एक-दूसरे को रंग, गुलाल, अबीर लगाते हैं, हुड़दंग करते हैं, रंग भरे गुब्बारे दूसरों के ऊपर फेंकते हैं। कभी-कभी तो रास्ते से गुजरने वालों या ट्रेन, बस से यात्रा करने वालों पर किचड़ भी फेंकते हैं। लोगों की थोड़ी-सी असावधानी से त्योहार की खुशियां मातम में तब्दिल हो सकती है।
सरसुन्दर लाल चिकित्सालय के नेत्र चोट व कैन्सर विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र प्रकाश मौर्य ने बताया कि आज बाजार में उपलब्ध खतरनाक रसायन युक्त मिलावटी रंग व गुलाल जिसमें मर्करी, क्रोमियम व सीसा यानी लेड आक्साइड मिला हो ने से त्वचा एवं आँखों की एलर्जी हो सकती है। जिसमें पलकों एवं चेहरे की त्वचा में जलन, खुजली, लाली एवं दाने निकल आते हैं। इसे ‘कान्टैक्ट डर्मेटाइटिस’ कहते हैं।
यदि रंग व गुलाल आँखों के अन्दर चला जाय तो व्यक्ति की आँख में ”नेत्रशोथ” यानी ”कन्जेक्टिवाइटिस” हो जाता है, इसमें आँखों में लाली, खुजली, जलन, गड़न होने लगता है। आँखों से पानी या किचड़ आने लगता है, आँख में अबीर गुलाल जाने पर लोग आँख को रगड़ने या मलने लगते हैं, ऐसा करने से आँख की कार्निया (स्वच्छ पटल) में ”अल्सर” यानी घाव हो जाता है, अल्सर का समय से ईलाज नहीं करने पर आँख में मवाद बन जाता है और व्यक्ति स्थाई रूप से अन्धा हो सकता है। रंग भरे गुब्बारे का प्रयोग भी आँखों को चोटिल बना सकता है, चोट के कारण आँख में रक्तस्त्राव हो सकता है, आँखों का परदा/रेटिना घिसक सकता है। चोट जनित सॅम्बलबाई भी हो सकती है। कभी-कभार तो तेज चोट के कारण नेत्र गोलक फट जाता है।
उन्होंने बताया कि यदि आँखों में रंग चला जाये तो आँखों को कतई मले या रगड़े नहीं, पर्याप्त मात्रा में साफ पानी से आँखों को धाएं, अबीर-गुलाल के बड़े कण को स्वच्छ रूई से निकालने का प्रयास करें, यदि सम्भव हो तो तत्काल नजदीकी नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क करें, आँखों में एलर्जी व कन्जेक्टिवाइटिस से बचने के लिए ‘एन्टीबायोटिक’ एवं ‘लूब्रिकेन्ट’ आई ड्राप का प्रयोग करना चाहिए, ‘स्टेरायड’ ड्राप का प्रयोग बिना नेत्र चिकित्सक की सलाह के कतई ना करें। कभी मेडिकल स्टोर की सलाह से दवा ना लें, कभी भी पुरानी ड्राप्स का प्रयोग ना करें, आँख में घरेलु द्रव जैसे-घी, दूध, गुलाब जल आदि को नहीं डालें।
उन्होंने कहा कि कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव जनमानस को आँखों में रंगों के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए सर्वप्रथम जिन्हें आँखों व त्वचा की एलर्जी है, जिनकी आँखों में चोट लगी हो या हाल में ऑपरेशन हुआ हो या जो लोग ‘कान्टैक्ट लेंस’ का प्रयोग करते हों उन्हें रंग व गुलाल से दूर रहना चाहिए, सिथोटिक व राशायनिक रंगों का प्रयोग करने से बचें। केवल प्राकृतिक हर्बल रंग का ही प्रयोग करें। रंग खेलने से पहले यदि दाढ़ी बड़ी हो तो पहले शेव करें तथा चेहरे पर मोइश्चराइजर, ग्लिसरीन या नारियल का तेल अवश्य लगा लें, सूखे रंग व अबीर के प्रयोग से बचें, अचानक, पीछे से जबरन रंग नहीं लगायें, सामने वाले को सतर्क होने दे। रंग लगाते समय आँखों को बन्द कर लें। होली के अवसर पर घर में पहले से ही फ्रेश ‘एण्टीबायोटिक’ व ‘ब्लूब्रीकेन्ट’ आई ड्राप अवश्य रख लें।
रंग को छुड़ाते समय आँख व त्वचा को अधिक रगड़े नहीं, इसके लिए नर्म साबुन या बेसन का प्रयोग करें। रंग छुड़ाने के तुरन्त बाद चेहरे पर एलोवरा जेल या मोइस्चराइजर का प्रयोग करें।