हरिद्वार। महाकुम्भ 2021 के अंतर्गत श्री हरिहर आश्रम, कनखल, हरिद्वार के सारस्वत परिसर में स्थित “मृत्युंजयमंडपम्” में पूज्य “आचार्यश्री” जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के पावन सान्निध्य में श्रीमद् माध्वगौडेश्वर जगद्गुरु श्रीपुण्डरीक गोस्वामी जी महराज के श्रीमुख से ‘श्रीवाल्मीकि रामायण कथा’ का ‘पंचम दिवस’ संपन्न हुआ ।
भगवान श्रीराम के नामकरण की कथा सुनाते हुए पूज्य श्रीपुण्डरीक जी महाराज कहते हैं कि बाल्मिकी जी ने भगवान श्रीराम के नामकरण के प्रसंग में उन्हें ‘सत्य पराक्रमी’ कह कर संबोधित किया। ‘स्व पराक्रमी’ और ‘सत्य पराक्रमी’ में अंतर होता है। स्व पराक्रमी अर्थात् अपने लिए उद्यम करने वाला कोई भी हो सकता है, किन्तु सत्य पराक्रमी तो भगवान ही हैं, जो धर्म और सत्य की प्रतिष्ठा के लिए वन गए और राजकुमार होते हुए भी उन्होंने सत्य और धर्म की स्थापना के लिए अनेकों प्रकार के कष्टों को सहन किया। पूज्य श्रीपुण्डरीक जी के अनुसार ‘सत्य धर्मम् प्रतिष्ठति ..!’ अर्थात् सत्य ही धर्म की आधारशिला है।
कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने महर्षि विश्वामित्र द्वारा राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगना, यज्ञ रक्षण हेतु निशाचरों का नाश, ऋषि गौतम पत्नी ‘माँ अहिल्या’ का उद्धार, पुष्प-वाटिका प्रसंग एवं भगवान राम द्वारा शिवधनुष भंग तथा सीता स्वयंवर का सुन्दर प्रसंग सुनाया। भगवन्नाम संकीर्तन के साथ पंचम दिवस की कथा सम्पूर्ण हुई।
आज के कथा श्रवण हेतु पूजनीया महामण्डलेश्वर स्वामी नैसर्गिका गिरि जी, महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी अपूर्वानन्द गिरि जी महाराज, आदरणीय श्री विवेक जी ठाकुर, संस्था के न्यासीगण सहित बड़ी संख्या में सन्त-साधक एवं श्रद्धालु गण उपस्थित रहे।