सामाजिक परिवर्तन के वाहक श्रद्धेय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने अपने जीवनकाल में भारत की आधी आबादी की समस्याओं पर अपना पूर्ण ध्यान केंद्रित किया। बाबा साहेब ने कहा है कि ” मैं किसी समाज की उन्नति का अनुमान इस बात से लगाता हूं कि उस समाज की महिलाओं की उन्नति कितनी हुई नारी की उन्नति के बिना समाज एवं राष्ट्र की उन्नति असंभव है।”
उनका जोर स्वाभिमान के साथ जीने में था डॉक्टर अंबेडकर जी को जीवन और सम्मान में से सम्मान अधिक महत्वपूर्ण था एक सभा में उन्होंने कहा था” कि कोठे पर बैठने वाली स्त्रियां प्रातः काल बटर, टोस्ट, मक्खन, और रोटी से नाश्ता करती हैं कबाब खाती हैं किंतु दलित समाज की महिलाएं हाड़ तोड़ मेहनत करने के बाद भी आधे पेट भोजन प्राप्त कर पाती हैं कभी-कभी तो आंसू पीकर ही सो जाती है किंतु क्या आप जानती हैं कि उन कोठेवालियों को लोग सम्मान से नहीं देखते अतः आप आदरणीय हैं, सम्माननीय हैं हमें रोटी से पहले सम्मान चाहिए।”
डॉक्टर अंबेडकर जी ने हिंदू नारियों को उनके हीन भावना ग्रंथि से मुक्त होने का आवाहन किया सन 1942 में नागपुर में शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के अधिवेशन में लगभग 20000 महिलाएं शामिल हुई थी। उस कार्यक्रम में बाबा साहब ने संबोधित करते हुए कहा कि “किसी भी समाज की प्रगति को उस समाज की महिलाओं की प्रगति से नापा जा सकता है आप इतनी बड़ी संख्या में यहां आई अतः संदेह नहीं कि निश्चित ही अब समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर है आप स्वयं शिक्षित हों ,अपने बच्चों को शिक्षित बनाए, उन्हें महत्वाकांक्षी बनाएं, उनकी हीनता ग्रंथि दूर करें, उनके विवाह में जल्दी ना करें, उन्हें स्वावलंबी बनाएं, उनकी सहयोगी बनें, मेरे सुझाव के अनुसार व्यवहार करने पर आप अपनी भी उन्नति करेंगीं और समाज को भी प्रगति के मार्ग पर ले जाएंगी सद्गुणों के माध्यम से आप अपने परिवार का जीवन बदलें, और आपके बच्चे ऐसे बनें जो तीनों लोक में प्रसिद्ध हों, यहां तक कि उस सभा में शामिल महिलाओं को बाबा साहब ने उनके व्यवहार आचार एवं रहन सहन के बारे में सुझाव एवं निर्देश दिए, बाबा साहब ने अपने भाषण में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बहनों आप अपने को अस्पृश्य ना मानें, अपना घर साफ रखें, आप पुराने रीति रिवाज जो उन्नति के मार्ग में बाधक है उन्हें तत्काल त्याग दें, अपने वस्त्र एवं आभूषण पहनने में भी अभिजात वर्ग की महिलाओं का अनुसरण करें क्योंकि आपकी बाह्य रूप संख्या की बहुत हद तक आपके मानस को प्रभावित करती हैं, ढेर सारे सस्ते अलंकारों की अपेक्षा साफ स्वच्छ कपड़े ही महत्वपूर्ण है, यदि अलंकार रखना ही हो तो मात्र स्वर्ण का अलंकार ही एकत्र करें, स्वच्छता से रहने की चिंता करें, आप गृहलक्ष्मी हैं घर में किसी भी प्रकार की अमंगल घटना या बात ना होने दें, मद्य व्यसनी पति और पुत्र को घर में प्रवेश ना होने दें ,उन्हें सही मार्ग पर लाने का प्रयत्न करें।
ऐसे समाज जागरण के प्रणेता, भारतीय सविधान के निर्माणकर्ता, सामाजिक परिवर्तन के वाहक भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर उन्हें मेरा श्रद्धापूर्वक नमन।|
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने समाज के वंचित, शोषित वर्गों को समानता का अधिकार दिलाने के साथ राष्ट्रवाद, धर्म, संस्कृति, भगवा हिंदुत्व व नारियों को जगाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।