वाराणसी। महिला सशक्तिकरण को आत्मनिर्भरता के सहज शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं निश्चित शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार तथा समाज में बेहतर ढंग से ज़िन्दगी जी सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है। आत्मनिर्भरता में ऐसी ताकत है कि वह समाज व देश में बहुत कुछ बदल दे।
इस देश की आधी आबादी महिलाओं की है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या में होगी। केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं ने देश की आधी आबादी की आत्मनिर्भरता के लिए कुछ कदम चलने को अग्रसर किया पर बात इतने से नहीं बननी बल्कि महिला रोज़गार के बारे में बात से कही ज्यादा स्वयं को स्वावलम्बन के लिए सक्षमता के लिए आत्मनिर्भरता के लिए स्वयं ही उद्धत होना होगा। महिला सशक्तिकरण के लिये महिलाओं का आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर होना बेहद जरुरी है। पुरुषों की भांति महिलाएं भी देश की समान नागरिक हैं और उन्हें भी स्वावलम्बी होना चाहिये।
ताकि वे समय आने पर व्यवसाय कर सकें और अपने परिवार को चलाने में मदद कर सकें। यही जागरुकता ही तो उनके, उनके परिवार के व देश के विकास को गति देगी एवं एक नई दिशा देगी। महिलाओं की आत्म निर्भरता उनकी जागरुकता और उनकी उन्नति न केवल उनके गृहस्थी के विकास में सहायक साबित होती है बल्कि उनकी आत्म निर्भरता, जागरुकता एवं साक्षरता देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती है। हमारे देश में महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिये तरह तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं जैसे कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन देश भर में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह माॅडल को सशक्त करने के लिये शुरु की गयी है। इस योजना के तहत सरकार 7 प्रतिशत ब्याज के दर पर तीन लाख रुपये तक ऋण सुविधा प्रदान करती है। समय पर भुगतान करने पर ब्याज की दर 4 प्रतिशत पर आ जाती है। इस योजना से आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत ग्रामीण महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद मिलेगी। इसकी सहायता से महिलाएं गांव में ही अपना खुद का रोजगार विकसित कर सकेंगी। इस तरह स्टार्टप स्टेण्डप सहित अनेकानेक योजनाएं व प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में बांटे गये घरेलू गैस कनेक्शन ने भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं के सशक्तिकरण का कार्य किया है। साथ ही प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत इस देश की करोड़ो महिलाओं के खाते खोले गये हैं। यह योजना तो वित्तीय समावेश के क्षेत्र में बड़ी सफलता को दिखाता है। इस योजना ने महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित कर आर्थिक विकास के नये पैमानों को तैयार किया है। फिर भी ग्रामीण परिवेश में आज भी महिलाओं को स्वयं के उत्थान के लिये आगे बाहर निकलना होगा आगे आना होगा तब जाकर आत्मनिर्भर नारी – सशक्त भारत के स्वप्न्न को साकार कर देश के साथ मजबूती से खड़ी हो सकेंगी ।
साभार – मीना चौबे उत्तर प्रदेश बीजेपी की प्रदेश मंत्री हैं