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परम पूज्य आचार्य लोकेश ने ‘जैन धर्म का भविष्य’ वर्चुअल संगोष्ठी को संबोधित किया

  • जैन धर्म वर्तमान वैश्विक समस्याओं के समाधान में अधिक प्रासंगिक – आचार्य लोकेश

नई दिल्ली : अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेश ने द जैन फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘जैन धर्म का भविष्य’ वर्चुअल संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान वैश्विक समस्याओं के समाधान में जैन धर्म और भगवान महावीर दर्शन अधिक प्रासंगिक है | अहिंसा, अनेकांत, संयम, जैसी शिक्षाओं पर आधारित जैन धर्म से हिंसा, युद्ध, पर्यावरण असंतुलन, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता, गरीबी, मानसिक व शारीरिक तनाव जैसी वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है | उन्होने कहा कि जैन धर्म की शिक्षा आधारित जीवन शैली अपनाकर विश्व जनमानस स्वस्थ सुखी और आनंदमय जीवन जी सकता है | इसके लिए आवश्यक है कि समुचित जैन समाज एकजुट होकर जैन धर्म की शिक्षाओं को जन जन तक लेकर जाए |

विश्व शांतिदूत आचार्य लोकेश ने जैन धर्म की प्रासंगिकता पर कहा कि यह जैन जीवन शैली बेहद वैज्ञानिक है और मानवीय मूल्यों पर आधारित है | भगवान महावीर ने अनेक प्रयोग अपने शरीर पर ही कर डाले और जैन धर्म की मान्यताओं को वैज्ञानिक रूप से स्थापित किया | जैन शिक्षाओं के माध्यम से व्यक्ति, समाज और पर्यावरण मे संतुलन बना कर एक बेहतर विश्व का निर्माण संभव है | विश्व शांति और सद्भावना की स्थापना के लिए जैन जीवन शैली को अपनाना होगा |

आचार्य लोकेश ने जैन धर्म कि वर्तमान स्थिति पर कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जैन विभिन्न परम्पराओं मे बंटे जैन अनुयायियों को एकजुट होना होगा ताकि उनकी आवाज राष्ट्रीय मंच पर सुनी जा सके | उन्होने कहा कि अमेरिका में 70 जैन सेंटर एकसाथ जैन धर्म की प्रभावना के लिए कार्यरत है, इसीलिए उनकी आवाज व्हाइट हाउस व संयुक्त राष्ट्र संघ में भी सुनी जाती है | वर्तमान मे जैन अनुयाई संगठित होकर न सिर्फ जैन धर्म का अपितु विश्व का भी कल्याण कर सकते है |

संगोष्ठी के आरंभ प्रो. संजीव भानावत ने आचार्य श्री लोकेश का विस्तृत परिचय देते हुए विषय की जानकारी दी तथा प्रश्नोत्तर का सुन्दर संचालन किया | अंत में द् जैन फ़ाउन्डेशन के संस्थापक डॉ रमेश जैन ने अपने सम सामयिक विचार रखते हुए आचार्य लोकेश जी एवं सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। डॉ स्मिता जैन कार्यक्रम में समन्वयक की भूमिका का कुशलता पूर्वक निर्वाह किया देश विदेश से भारी संख्या में विभिन्न धर्मों के अनुयायियों ने संगोष्ठी मे भाग लिया और आचार्य लोकेशजी के वक्तव्य की सराहना की|

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