02 से 15 सितंबर तक खोजे जाएंगे कुष्ठ रोगी

कुष्ठ रोगी खोजी अभियान आज से
– दो से 15 सितंबर तक खोजे जाएंगे कुष्ठ रोगी, घर-घर जाएगी स्वास्थ्य विभाग की टीम
– कुष्ठ रोग के प्रति किया जागरुक
मथुरा, 01 सितंबर 2024।
जिले में कुष्ठ रोगी खोजी अभियान के तहत सोमवार से स्वास्थ्य विभाग की 2850 टीम घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की खोज करेंगी और लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरुक करेंगी। इन टीमों का 570 पर्यवेक्षक निगरानी करेंगे। इस अभियान को 2 से 15 सितंबर तक चलाया जाएगा। राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत अभियान का शुभारंभ किया जाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा या ईश्वर का शाप नहीं है. बल्कि यह एक बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है. कुष्ठ रोग को शाप या छुआछूत का रोग समझकर कुष्ठ रोगी से भेदभाव न करें। कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षणों में त्वचा पर चमड़े के रंग से हल्के या गहरे रंग के दाग-धब्बे हो सकते हैं, जो सुन्न होते हैं और इनमें दर्द नहीं होता है। अगर किसी के शरीर पर ऐसे कोई दाग-धब्बे दिखाई दें तो स्वास्थ्य विभाग की टीम को बताएं। इसके बाद मरीजों की स्क्रीनिंग करके जांच की जाएगी और यदि जांच में कुष्ठ की पुष्टि होगी तो मरीजों का उपचार किया जाएगा। सीएमओ ने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज संभव है, लेकिन समय पर इलाज बहुत जरूरी है। अगर इलाज में देरी होती है तो यह रोग गंभीर रूप ले सकता है और त्वचा, नसों और अंगों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. वी.डी गौतम, ने बताया कि अभियान को जनपद के 10 ब्लॉक और शहरी क्षेत्र में चलाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता और एक पुरुष सदस्य की टीम, जबकि शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एक पुरुष सदस्य की टीम लक्षणयुक्त व्यक्तियों की स्क्रीनिंग करेंगी। इसके बाद चयनित किये गये संभावित कुष्ठ रोगियों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संदर्भन पर्ची के साथ रेफर किया जाएगा। यह अभियान 14 दिन चलेगा। इसे पल्स पोलियो अभियान की भांति चलाया जाना है। दो वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की लक्षण के आधार पर उनके घर पर ही स्क्रीनिंग होगी।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि अगर शरीर पर चमड़ी के रंग से हल्का कोई भी सुन्न दाग धब्बा हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य करानी चाहिए । हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा में गहरे और लाल रंग के भी धब्बे हो सकते हैं। हाथ या पैरों की अस्थिरता या झुनझुनी, हाथ पैर व पलकों में कमजोरी, नसों में दर्द, चेहरे या कान में सूजन अथवा घाव और हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव भी इसके लक्षण हैं। तुरंत जांच और इलाज से मरीज ठीक हो जाता है और सामान्य जीवन जी सकता है। इसके विपरीत देरी पर कुष्ठ दिव्यांगता का रूप ले सकता है। ने बताया कि कुष्ठ सुन्न दाग धब्बों की संख्या जब पांच या पांच से कम होती है और कोई नस प्रभावित नहीं होती या केवल एक नस प्रभावित होती है तो मरीज को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं जो छह माह के इलाज में ठीक हो जाता है । अगर सुन्न दाग धब्बों की संख्या छह या छह से अधिक हो और दो या दो से अधिक नसें प्रभावित हों तो ऐसे रोगी को मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं और इनका इलाज होने पर साल भर का समय लगता है। कुष्ठ रोगी को छूने और हाथ मिलाने से इस रोग का प्रसार नहीं होता। रोगी से अधिक समय तक अति निकट संपर्क में रहने पर उसके ड्रॉपलेट्स के जरिये ही बीमारी का संक्रमण हो सकता है ।

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