आगरा -‘सनातन धर्म पूरे विश्व का प्रेम से पालन करने का भाव रखता है। विश्व की वर्तमान स्थिति में सनातन की बहुत आवश्यकता आ गई है क्योंकि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना अब कमजोर होने लगी है। इसी भावना को सीखने के लिए कभी विदेशों से लोग यहां आते थे और भारतवर्ष जगद्गुरु कहलाता था। विश्व की वर्तमान परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने यह बात कही। ग्वालियर से हरिद्वार जाते हुए वे यमुना एक्सप्रेसवे पर थोड़ी देर के लिए रुके।
अपनी तीखी टिप्पणियों के लिए विख्यात शंकराचार्य जी ने हिंदुओं के द्वारा जनसंख्या बढ़ाने की बात पर कहा कि एक चंद्रमा उदित हो जाए तो संसार का अंधकार हर लेता है लेकिन करोड़ों तारे मिलकर भी प्रकाश नहीं फैला सकते। संख्या बल से कोई प्रभावित नहीं होता है, पराक्रम और सद्गुणों से ही आप किसी को प्रभावित कर सकते हैं। शंकराचार्य जी ने कहा कि विचार करें कि संख्या बल बढ़ाने वालों को क्या मिला है? सनातन की संख्या बढ़े इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन गुणवत्ता बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए, तभी हम जगद्गुरु की उपाधि पुनः प्राप्त कर सकेंगे।
आगे वर्शिप एक्ट की बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईसाई प्रार्थना करते हैं, मुस्लिम नमाज़ पढ़ते हैं, किंतु वर्शिप अर्थात पूजा केवल हिंदू ही करते हैं इसलिए यह एक्ट हिंदू धर्म स्थानों से संबंधित है। अभी इस पर अंतरिम रोक लगाई गई है, अंतिम नहीं, वरना यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध हो जाएगा। विचार करने के लिए सदैव गुंजाइश रहनी चाहिए। थोड़ी देर के लिए रोक लगाने में कोई बाधा नहीं है, लेकिन यथास्थिति सदा के लिए नहीं हो सकती। उन्होंने विश्वास जताया कि अंतरिम रोक हट जाएगी, यदि नहीं हटती है तो इस पर आगे चर्चा की जाएगी। उपस्थित सभी भक्तों को आशीर्वाद देकर वे शीतकालीन चार धाम यात्रा प्रारंभ करने के लिए हरिद्वार के लिए रवाना हो गए। यमुना एक्सप्रेसवे पर आगरा के गणमान्य लोगों ने उनका स्वागत किया।