अनुपूरक बजट में मानदेय वृद्धि के लिए कोई व्यवस्था न होने से फिर एक बार शिक्षामित्रों के हाथ लगी निराशा,शिक्षामित्रों के साथ सौतेला व्यबहार कर रही योगी सरकार : वीरेन्द्र छौंकर
आगरा । वित्त मंन्त्री सुरेश खन्ना द्वारा कल विधानसभा में पेश किए गए अनुपरुक बजट में शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्वि की कोई व्यवस्था न होने से फिर एक बार निराशा हाथ लगी है, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर ने बयान जारी करते हुए कहा है कि सरकार का अनुपरुक बजट सिर्फ झूट का पिटारा है, बिगत सात सालों से सरकार की तरफ टकटकी लगाए देख रहे शिक्षामित्रों को बजट में मानदेय वृद्वि या अन्य सुविधाओं के लिए स्पष्ट रूप से कोई राहत नहीं दी गयी है । माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा बजट अपने बजट अविभाषण में बोलते हुए आज सदन को बताया गया कि शिक्षामित्र आज भी निश्चित मानदेय पर यथावत कार्य कर रहे हैं परन्तु शिक्षामित्रों को सरकार की तरफ से भविष्य में मानदेय वृद्वि का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है जिससे शिक्षामित्रों में भारी निराशा उत्तपन्न हुई है । शिक्षामित्र पिछले सात सालों से 10 हज़ार प्रतिमाह पर कार्य कर रहे हैं बढ़ती महंगाई के कारण इतने कम अल्प मानदेय में परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है । भविष्य की चिंता तथा आर्थिक तंगी व मानसिक अवसाद के कारण ह्रदयघात, आत्महत्या एवं असाध्य बीमारी से ग्रसित होकर इलाज के अभाव में अबतक 10 हजार से अधिक शिक्षामित्र असामयिक ही दम तोड़ चुके हैं और यह शिलशिला अनवरत जारी है । 2017 में जो अध्यापक 40 हजार रुपये प्रतिमाह बेतन पा रहे थे आज उनके बेतन में प्रतिवर्ष महँगाई बढ़ोत्तरी को जोड़कर आज लगभग 60 से 65 हजार बेतन पा रहे हैं जबकि इन सात सालों से शिक्षामित्रों के मानदेय में कोई वृद्वि न करना सरकार की शिक्षामित्रों के प्रति सोच को दर्शाता है । संगठन सरकार के अनुपरुक बजट पर असंतोष व्यक्त करते हुए माँग करता है शीघ्र ही शिक्षामित्रों के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए व उचित निर्णय लेते हुए शिक्षामित्रों की समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाए व मानदेय वृद्वि की जाए जिससे कि शिक्षामित्र परिवारों का भरण पोषण हो सके ।अन्यथा प्रदेश के डेढ़ लाख शिक्षामित्र परिवार सहित विवश होकर राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करते हुए धरना प्रदर्शन तथा आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे।
गोविन्द शर्मा