आगरा -‘जब मानव को सहजता से सफलता मिलने लगती है तो उसके मन में अहंकार आ जाता है। यही अहंकार सफलता में विघ्न का कारण बन जाता है। इससे बचने के लिए मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी सफलता को सदैव भगवान के चरणों में अर्पित करे।’ भगवान गणेश के विघ्नेश स्वरूप का वर्णन करते हुए कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने उक्त प्रवचन दिए।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रहे भविष्य पुराण प्रवचन का आज दूसरा दिन था। श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में चल रही इस कथा में दूसरे दिन भगवान गणेश के विघ्न विनाशक रूप के साथ सांपों की उत्पत्ति तथा जन्मेजय ज्ञान यज्ञ में उनके नष्ट होने की कथा सुनाई गई।
सर्पों से होने वाले भय को दूर करने का भविष्य पुराण में वर्णित प्रसंग भी सुनाया गया। इसके उपरांत कथावाचक ने भविष्य पुराण के अनुसार भगवान सूर्य की उपासना पद्धति एवं उनके परिवार की सुंदर कथा सुनाई। भगवान सूर्य के दिव्य रथ का वर्णन करने के साथ ही उनकी रथ यात्रा निकल जाने का कारण भी कथा वाचक ने बताया। इसके उपरांत भगवान सूर्य के प्रिय पुष्पों, उपादानों, पूजा पद्धति तथा उनकी पूजा में होने वाली विभिन्न भूलों तथा उनके कारणों को भी बताया गया।
फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि कथा का प्रतिदिन यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया जा रहा है जिससे दूर बैठे हुए लोग भी कथा का लाभ ले सकें।





