मथुरा/वृन्दावन दीपावली के बाद भैया दौज आती है जिसे यम द्वितीया कहते हैं। भैया दौज को यम द्वितीया क्यों कहते हैं? क्या महत्व है यम द्वितीया का? यमुना जी सूर्य पुत्री हैं और यमराज जी सूर्य पुत्र हैं। यमराज और यमुना जी आपस में भाई बहन हैं। यमुना जी अपने भाई यमराज जी के यहां अक्सर आती जाती रहती थीं और यमराज जी को अपने यहां आने के लिए कई बार आमन्त्रित किया परन्तु यमराज जी व्यस्तता के कारण यमुना जी के यहां नहीं जा पाते थे।एक दिन यमराज जी अपनी बहन यमुना जी के यहां अचानक पहुंच गए। अपने भाई को देखकर यमुना जी अत्यन्त प्रसन्न हो गई। यमुना जी ने अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाया और मिष्ठान खिलाये। यमराज भी बड़े प्रसन्न हुए उन्होंने यमुना जी को अनेक उपहार दिये। चलते समय यमराज जी ने यमुना जी से मनवांछित वरदान मांगने को कहा। यमुना जी ने कहा कि आज के दिन जो भाई अब बहन का हाथ पकड़ कर यमुना जी में स्नान करके यमराज और यमुना जी का पूजन करें उसको आप अपने राज्य में मत ले जाना। यमराज जी ने तथास्तु कहा और चले गए।तब से यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया कहा जाने लगा।