जल दोहनः बोरिंग का रजिस्ट्रेशन, डिजिटल फ्लोमीटर लगाना हुआ अनिवार्य
-फ्लोमीटर बताएगा कितना पानी जमीन से निकाला गया
-नलकूप का ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन एवं अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना भी हुआ अनिवार्य
-जिला भूगर्भ जल प्रबन्धन परिषद का किया गया गठन
मथुरा (मदन सारस्वत ) भू गर्भीय जल स्तर में लगातार हो रही गिरावट को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अब कामर्शियल, थोक, घरेलू एवं कृषि उपभोक्ताओं के लिए अपनी बोरिंग का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। नोडल अधिकारी, सहायक अभियंता लघु सिंचाई विकास कुमार के मुताबिक जनपद में विभिन्न क्षेत्रों में भूगर्भ जल दोहन करने वाले व्यक्तियों, औद्योगिक क्षेत्र, वाणिज्यिक एवं सामूहिक भूगर्भ जल उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। भूगर्भ जल के अन्तर्गत विविध प्राविधानों यथा वाणिज्यिक, औद्योगिक, अवसंरचनात्मक एवं सामूहिक भूगर्भ जल उपयोक्ताओं के पंजीकरण रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र निर्गमन आदि कार्य के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला भूगर्भ जल प्रबन्धन परिषद का गठन किया गया है।जनपद में यह हैं अधिसूचित, गैर अधिसूचित क्षेत्र अधिसूचित क्षेत्रों में विकास खण्ड राया, बल्देव, नौहझील को रखा गया है। भूगर्भ जल के वर्तमान वाणिज्यिक, औद्योगिक, अवसंरचनात्मक एवं सामूहिक (जैसे आर.ओ. प्लांट, कार धुलाई केन्द्र) उपभोक्ताओं को अपनी बोरिंग के लिए एन.ओ.सी. एवं पंजीकरण कराना अनिवार्य है। भूजल निकासी की सीमा का निर्धारण तथा भूजल दोहन के लिए शुल्क का प्राविधान किया गया है। गैर अधिसूचित क्षेत्रों के लिए प्राविधान जनपद मथुरा के विकास खण्ड मथुरा, गोवर्धन, नन्दगांव, छाता, मांट, चौमुहा, फरह को गैर अधिसूचित क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। थोक, घरेलू एवं कृषि उपभोक्ताओं को अपनी बोरिंग का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं को भूजल निकासी के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिये आवेदन करना होगा और साथ ही भूजल निकासी की सीमा तय करते हुए शुल्क अदा करना होगा।यह है आर्थिक दण्ड और सजा का प्रावधान किसी भी व्यवसायिक, औद्योगिक, अवसंरचनात्मक एवं सामूहिक उपभोक्ता द्वारा प्राविधानों के उल्लंघन की स्थिति में प्रथम अपराध के लिए दो लाख से पांच लाख रूपये अर्थदण्ड अथवा छह माह से एक वर्ष का कारावास अथवा दोनों हैं। अपराध की पुनरावृत्ति पर प्राधिकार पत्र निरस्त करते हुए उपरोक्त दण्ड को दोगुना किया जाएगा। यदि किसी द्वारा प्रवाह किये जाने वाला अपशिष्ट भूजल को किसी प्रकार से दूषित करता है, तो यह गम्भीर अपराध की श्रेणी में माना जायेगा। इस दोषपूर्ण कृत्य हेतु अर्थदण्ड अथवा कारावास अथवा दोनों का प्राविधान किया गया है। प्रथम अपराध के लिए दो वर्ष से तीन वर्ष का कारावास एवं पांच लाख से 10 लाख रूपये भू जल के लिए दोषी पाए जाने की स्थिति में अर्थदण्ड अपराध की पुनरावृत्ति पर पांच वर्ष से सात वर्ष का कारावास तथा 10 लाख से 20 लाख का अर्थदण्ड दिया जाएगा। ए प्रावधानों के अनुसार बिना एनओसी, रजिस्ट्रेशन के भू जल निकासी के लिए सम्बन्धित फर्मों को 15 दिन का नोटिस दिया जाएगा। यदि उनके द्वारा एनओसी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है, तो वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
पांच हजार में होगा रजिस्ट्रेशन, पानी का भी देना होगा पैसा
वाणिज्यिक, औद्योगिक और सामूहिक भूगर्भ जल उपभोक्ताओं के लिए शासन द्वारा पांच हजार रूपये रजिस्ट्रेशन शुल्क निर्धारित किया गया है। उपभोक्ताओं को निकाले गये भूजल का शुःल्क भी अदा करना होगा। इन उपभोक्ताओं को अपनी प्रत्येक बोरिंग पर डिजिटल फ्लोमीटर लगाना होगा, जिससे उनके द्वारा भूजल दोहन की मात्रा एवं शुल्क का आगणन किया और साथ जा सके।