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 *जीवन ही नहीं सृष्टि को अनुशासित भी करते हैं भगवान सूर्य*

यदि भगवान सूर्य ना हों तो यह संसार निष्प्राण है। भगवान सूर्य सिर्फ जीवन ही नहीं देते, अनुशासन भी सिखाते हैं। भगवान सूर्य के परिवार, उनकी कृपा, उनके अनुशासन, उनके नियमों का ही लिखित रूप है भविष्य पुराण।’ भविष्यपुराण कथा प्रवचन करते हुए भागवतकार डॉ दीपिका उपाध्याय ने उक्त वचन कहे। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्रीभविष्य पुराण कथा प्रवचन का आज प्रथम दिन था। श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में कलश स्थापना, पुराण पूजन के उपरांत प्रवचन श्रृंखला प्रारंभ हुई।

कथावाचक ने पांडव वंशी राजा शतानीक तथा श्री वेदव्यास के शिष्य ऋषि सुमंतु के संवाद का मनोहारी वर्णन किया। उन्होंने कहा जब गुणी लोग ज्ञानीजनों से मिलते हैं तो उनसे कुछ ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, जैसा राजा शतानीक ने किया, किंतु कलिकाल में मनुष्य सिर्फ अपने झूठे अहं का दिखावा करता है।

आगे उन्होंने भविष्य पुराण में वर्णित भोजन के नियम, सृष्टि की रचना, कल्प, मन्वंतर विभाग के साथ ही चारों युगों की विशेषताओं का बड़ा ही रोचक वर्णन किया। एक श्रेष्ठ मनुष्य को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए यह भी कथा वाचक ने बताया। पूजन तथा कर्मकांड में जो भी क्रियाएं की जाती हैं, उनका भविष्य पुराण के अनुसार कारण सुनकर लोग आश्चर्यचकित रह गए।

फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि यह पुराण प्रवचन 7 दिनों तक चलेगा। इसके माध्यम से समाज को जीवनोपयोगी ज्ञान मिलेगा तथा लुप्त हो चुके ग्रंथों का प्रचार प्रसार होगा, यही फाउंडेशन का उद्देश्य है।

इस अवसर पर कान्ता शर्मा, वरदान, निष्ठा आदि उपस्थित रहे। भगवान के नाम संकीर्तन तथा प्रसाद वितरण के साथ कथा का विश्राम हुआ।

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