श्रीकृष्ण नित्य नाम, रूप एवं लीला सम्पन्न सर्वोपरि परम तत्वः चंचला पति दास
-चंद्रोदय मंदिर में फूल बंगला, 56 भोग, महाभिषेक, हरिनाम संकीर्तन रहा आकर्षण का केन्द्र
मथुरा (ज़ीशान अहमद )
वृन्दावन के भक्ति वेदांत मार्ग स्थित चंद्रोदय मंदिर में गुरुवार को लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण के 5249 वे प्राकट्योत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया गया। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के पावन पर्व पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी महामहोत्सव के दौरान भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण में भव्य फूल बंगला, झूलन उत्सव, छप्पन भोग, लड्डू गोपाल अभिषेक, भजन संध्या, महाभिषेक एवं हरिनाम संकीर्तन का वृहद आयोजन किया गया। चंद्रोदय मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर श्री श्री राधा वृंदावन चंद्र के महाभिषेक की प्रक्रिया को वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य, पंचगव्य दूध, दही, घी, शहद, मिश्री एवं 108 प्रकार के फलों के रस, विभिन्न जड़ी बूटियों एवं फूलों से संपन्न कराया गया। मंदिर के भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण को विभिन्न प्रकार के पुष्पों का चयन कर बड़े ही मनोहर रूप से सजाया गया। वहीं ठाकुर श्री श्री राधा वृंदावन चंद्र को भूरे रंग की रेशम एवं चांदी से कढ़ाई किए हुए वस्त्र धारण कराए गए। आज के इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण स्थित विलास कुंज गौशाला में गौमाता के समक्ष 551 प्रकार के विशेष रूप निर्मित व्यंजन का भोग अर्पित किया गया। मध्य रात्रि के 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तब भगवान के नाम के जयकारों से सारा चंद्रोदय मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। भगवान श्रीकृष्ण के इस अवतरण दिवस पर आयोजित उत्सव में भाग लेने हेतु आगरा, लखनऊ, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि प्रान्तों के भक्त श्रीधाम वृन्दावन पहुंचे एवं अपने आराध्य का दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।